भारत विविधताओं का देश है जहाँ हर राज्य की अपनी संस्कृति, परंपरा और त्योहार हैं। दक्षिण भारत का केरल राज्य अपनी प्राकृतिक सुंदरता, नृत्य, संगीत और भव्य त्योहारों के लिए पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। इन्हीं त्योहारों में से एक है ओणम (Onam)। ओणम केवल एक धार्मिक उत्सव नहीं है बल्कि यह केरल की सांस्कृतिक पहचान, सामाजिक एकता और परंपरा का प्रतीक भी है। इसे “केरल का राष्ट्रीय उत्सव” भी कहा जाता है।
Onam Meaning in Hindi – ओणम का अर्थ
“ओणम” शब्द संस्कृत के “श्रवण नक्षत्र” से निकला है, जिसे केरल की लोकभाषा में “थिरुवोणम” कहते हैं। ओणम का शाब्दिक अर्थ है समृद्धि, खुशहाली और नई फसल का स्वागत। यह त्योहार धरती की उर्वरता और भगवान की कृपा का प्रतीक है।
ओणम त्योहार कहाँ मनाया जाता है?
ओणम मुख्य रूप से केरल राज्य में मनाया जाता है। केरल के साथ-साथ तमिलनाडु, कर्नाटक और दुनिया के उन हिस्सों में भी जहाँ केरलवासी रहते हैं, यह त्योहार बड़े उत्साह से मनाया जाता है। दुबई, अमेरिका, मलेशिया और सिंगापुर जैसे देशों में भी प्रवासी मलयाली समाज ओणम को धूमधाम से मनाता है।
ओणम कब मनाया जाता है?
ओणम का त्योहार चिंघम मास (मलयालम कैलेंडर का पहला महीना) में मनाया जाता है, जो आमतौर पर अगस्त से सितंबर के बीच आता है।
- यह त्योहार 10 दिनों तक चलता है।
- सबसे महत्वपूर्ण दिन थिरुवोणम (श्रवण नक्षत्र का दिन) होता है।
- 2025 में ओणम उत्सव अगस्त के अंत और सितंबर की शुरुआत में मनाया जाएगा।
ओणम त्योहार क्यों मनाया जाता है?
ओणम के पीछे एक प्रसिद्ध पौराणिक कथा जुड़ी है।
महाबली और भगवान विष्णु की कथा
- प्राचीन काल में महाबली नामक एक असुर राजा ने केरल पर शासन किया।
- वह अत्यंत दयालु, न्यायप्रिय और प्रजा-वत्सल शासक था।
- उसके शासनकाल में लोग सुखी थे और अपराध लगभग समाप्त हो चुके थे।
- लेकिन देवताओं को उसकी शक्ति से भय हुआ और उन्होंने भगवान विष्णु से मदद मांगी।
- भगवान विष्णु ने वामन अवतार लिया और महाबली से तीन पग भूमि दान में मांगी।
- वामन ने दो पग में पृथ्वी और आकाश नाप लिया, और तीसरे पग के लिए महाबली ने अपना शीश प्रस्तुत किया।
- इस प्रकार महाबली पाताल लोक चला गया।
लेकिन भगवान विष्णु ने महाबली की भक्ति और दानशीलता देखकर उसे आशीर्वाद दिया कि वह हर वर्ष अपनी प्रजा से मिलने पृथ्वी पर आएगा।
इसी आगमन की स्मृति में ओणम का त्योहार मनाया जाता है।
ओणम त्योहार किसका प्रतीक है?
ओणम केवल एक धार्मिक त्योहार नहीं है, बल्कि यह कई बातों का प्रतीक है:
- फसल कटाई और समृद्धि – यह नए धान की फसल के स्वागत का प्रतीक है।
- समानता और भाईचारा – महाबली के शासनकाल में सब लोग समान थे, उसी सामाजिक न्याय की झलक इसमें मिलती है।
- भक्ति और धर्मपरायणता – महाबली की भगवान विष्णु के प्रति भक्ति को दर्शाता है।
- सांस्कृतिक धरोहर – नृत्य, संगीत, नौका दौड़ और कला इसका हिस्सा हैं।
ओणम त्योहार कैसे मनाया जाता है?
ओणम का उत्सव 10 दिनों तक चलता है और हर दिन का अपना महत्व है।
1. पुक्कलम (Onam Pookalam)
- घर के आंगन में रंग-बिरंगे फूलों से फूलों की रंगोली बनाई जाती है।
- इसे “पुक्कलम” कहा जाता है।
- यह महाबली का स्वागत करने का प्रतीक है।
2. ओणम साध्या (Onam Sadya)
- ओणम साध्या एक भव्य शाकाहारी भोज होता है।
- इसे केले के पत्ते पर परोसा जाता है।
- इसमें लगभग 26 से 30 तरह के व्यंजन होते हैं जैसे – सांभर, अवियल, ओलन, इन्झिपुली, पायसम आदि।
3. वल्लमकली (Vallamkali)
- इसे स्नेक बोट रेस कहा जाता है।
- नाविक रंग-बिरंगी नौकाओं पर पारंपरिक गीत गाते हुए प्रतिस्पर्धा करते हैं।
- यह ओणम का सबसे आकर्षक खेल है।
4. थिरुवाथिराकली (Thiruvathirakali)
- महिलाएँ पारंपरिक सफेद और सुनहरे किनारी वाली साड़ी पहनकर समूह में नृत्य करती हैं।
- इसे थिरुवाथिराकली कहा जाता है।
5. पुलिकली (Pulikali)
- लोग बाघ और शिकारी के रूप में शरीर पर रंग करके नृत्य करते हैं।
- यह मनोरंजन का मुख्य हिस्सा है।
6. अन्य उत्सव
- मंदिरों में पूजा-अर्चना होती है।
- लोग नए वस्त्र धारण करते हैं।
- मेले और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित होते हैं।
ओणम त्योहार पर निबंध (Essay on Onam Festival in Hindi)
परिचय
ओणम दक्षिण भारत के केरल राज्य का सबसे प्रमुख त्योहार है। यह त्योहार हर वर्ष अगस्त या सितंबर में बड़े हर्षोल्लास से मनाया जाता है। इसे “फसल उत्सव” और “राष्ट्रीय उत्सव” भी कहा जाता है।
ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व
ओणम की शुरुआत राजा महाबली की कथा से जुड़ी है। महाबली की प्रजा से मिलने की परंपरा ही ओणम का आधार है।
सामाजिक महत्व
यह त्योहार समाज में एकता, भाईचारा और समानता का संदेश देता है। चाहे गरीब हो या अमीर, सभी लोग मिलकर इस उत्सव को मनाते हैं।
सांस्कृतिक महत्व
- पुक्कलम, साध्या, वल्लमकली, पुलिकली और पारंपरिक नृत्य ओणम की सांस्कृतिक पहचान हैं।
- यह त्योहार केरल की समृद्ध विरासत को दर्शाता है।
निष्कर्ष
ओणम केवल एक धार्मिक कथा तक सीमित नहीं है, बल्कि यह सांस्कृतिक गौरव और सामाजिक एकता का प्रतीक है। यही कारण है कि इसे पूरी दुनिया में मलयाली समाज बहुत ही श्रद्धा और आनंद के साथ मनाता है।
ओणम दिवस का महत्व (Onam Diwas ka Mahatva)
ओणम दिवस का महत्व केवल धार्मिक न होकर जीवन दर्शन से भी जुड़ा है:
- यह त्योहार हमें बताता है कि सच्चा नेतृत्व सेवा और न्याय में है, न कि शक्ति और अहंकार में।
- यह त्योहार कर्म, भक्ति और दान के महत्व को उजागर करता है।
- फसल उत्सव होने के कारण यह प्रकृति के प्रति आभार व्यक्त करने का अवसर है।
- यह त्योहार समाज में समानता और प्रेम का संदेश देता है।