भारत में महिलाओं की सुरक्षा: Mission Shakti 5 की पहल और इसकी चुनौतियाँ

“बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ” का नारा देने वाले भारत के लिए महिला सुरक्षा एक गंभीर और चुनौतीपूर्ण मुद्दा बना हुआ है। हर रोज अखबारों की सुर्खियाँ और न्यूज़ चैनलों की ब्रेकिंग न्यूज़ इस बात का सबूत हैं कि घर की चारदीवारी से लेकर सार्वजनिक स्थानों तक, एक महिला के लिए सुरक्षित माहौल अभी भी एक सपना है। ऐसे में, केंद्र सरकार की एक प्रमुख योजना ‘मिशन शक्ति 5’ (Mission Shakti 5) नई उम्मीद लेकर आई है। लेकिन सवाल यह है कि क्या यह मिशन सिर्फ कागजों तक सीमित है, या फिर यह जमीनी स्तर पर वास्तविक बदलाव लाने में सक्षम है?

इस लेख में, हम Mission Shakti 5 के हर पहलू पर गहन नजर डालेंगे। इसके उद्देश्य, इसकी रणनीति, संभावित लाभ और वे बड़ी चुनौतियाँ, जो इसके रास्ते में खड़ी हैं, सब कुछ विस्तार से समझेंगे।

Mission Shakti 5 क्या है? एक सिंहावलोकन

Mission Shakti 5 भारत सरकार की एक समग्र नीति है, जिसे महिलाओं की सुरक्षा, सशक्तिकरण और कल्याण को एकीकृत ढंग से संबोधित करने के लिए डिजाइन किया गया है। यह मिशन ‘महिला सशक्तिकरण’ की अवधारणा को सिर्फ एक नारा नहीं, बल्कि एक ठोस रणनीतिक लक्ष्य के रूप में स्थापित करता है।

इस मिशन के तहत पहले के मिशन शक्ति चरणों के अनुभवों को शामिल किया गया है और इसे और अधिक व्यापक बनाया गया है। इसका फोकस सिर्फ प्रतिक्रियात्मक उपायों (जैसे हादसा होने के बाद की कार्रवाई) पर नहीं, बल्कि सक्रिय निवारण (Prevention), सुरक्षा (Protection) और पुनर्वास (Rehabilitation) पर है।

Mission Shakti 5 के प्रमुख घटक और रणनीतियाँ

इस मिशन की ताकत इसके विभिन्न घटकों में निहित है, जो अलग-अलग कोणों से महिला सुरक्षा को टारगेट करते हैं।

1. सामाजिक सशक्तिकरण और जागरूकता

  • सेल्फ डिफेंस ट्रेनिंग: स्कूलों, कॉलेजों और समुदाय स्तर पर बड़े पैमाने पर आत्मरक्षा प्रशिक्षण शिविर आयोजित करना। इसमें कराटे, जूडो जैसी मार्शल आर्ट के साथ-साथ मानसिक सतर्कता पर भी जोर दिया जाता है।
  • जेंडर संवेदनशीलता अभियान: पुरुषों और लड़कों को लक्षित करने वाले अभियान, ताकि महिलाओं के प्रति सम्मान का भाव पैदा किया जा सके और पितृसत्तात्मक मानसिकता को बदला जा सके।
  • सामुदायिक भागीदारी: ग्राम पंचायतों, स्थानीय नेताओं और NGOs को शामिल करके ‘सुरक्षित गाँव’ और ‘सुरक्षित शहर’ मॉडल विकसित करना।

2. तकनीकी हस्तक्षेप और इंफ्रास्ट्रक्चर

  • वुमन हेल्पलाइन (181) को मजबूत करना: 24×7 हेल्पलाइन की क्षमता बढ़ाना, रिस्पॉन्स टाइम कम करना और आपात स्थिति में त्वरित कार्रवाई सुनिश्चित करना।
  • शहरों में ‘सेफ सिटी प्रोजेक्ट’: इसके तहत सार्वजनिक स्थानों पर अच्छी रोशनी, CCTV कैमरों का नेटवर्क, पैनिक बटन और बेहतर पुलिस गश्त जैसी सुविधाएं उपलब्ध कराना शामिल है।
  • निर्भया फंड का उपयोग: फास्ट ट्रैक कोर्ट, फोरेंसिक लैब और पीड़ितों के लिए सहायता तंत्र को मजबूत करने के लिए निर्भया फंड के संसाधनों का कुशलतापूर्वक उपयोग।

3. कानूनी सुधार और कार्यान्वयन

  • फास्ट ट्रैक कोर्ट: महिलाओं के खिलाफ अपराधों की सुनवाई के लिए और अधिक फास्ट ट्रैक कोर्ट स्थापित करना, ताकि न्याय में देरी न हो।
  • वन-स्टॉप सेंटर (सखी केंद्र): देश के हर जिले में सखी केंद्र स्थापित करने का लक्ष्य, जहाँ पीड़िता को चिकित्सा, कानूनी सहायता, मनोवैज्ञानिक परामर्श और अस्थायी शरण एक ही छत के नीचे मिल सके।
  • पुलिस का क्षमता निर्माण: पुलिसकर्मियों, विशेष रूप से महिला पुलिसकर्मियों को जेंडर-सेंसिटिव ट्रेनिंग देना, ताकि वे पीड़िताओं के साथ संवेदनशीलता से पेश आ सकें।

Mission Shakti 5 की सबसे बड़ी चुनौतियाँ: आदर्श और यथार्थ के बीच का फासला

अब हम उन मुख्य बिंदुओं पर आते हैं, जहाँ इस तरह की महत्वाकांक्षी योजनाएं अक्सर अटक जाती हैं। Mission Shakti 5 का सफल होना इन चुनौतियों से निपटने की क्षमता पर निर्भर करेगा।

1. मानसिकता में बदलाव की धीमी प्रक्रिया

कानून बनाना और तकनीक लगाना आसान है, लेकिन सदियों पुरानी सामाजिक मानसिकता को बदलना सबसे बड़ी चुनौती है। महिलाओं को हीन दृष्टि से देखना, उनकी स्वतंत्रता पर पाबंदी लगाना और ‘वह इस लायक थी’ जैसी सोच को बदलने के लिए सिर्फ जागरूकता अभियान काफी नहीं हैं। इसके लिए लंबी और लगातार चलने वाली शिक्षा की जरूरत है, जिसके परिणाम तुरंत दिखाई नहीं देते।

2. कार्यान्वयन की खाई (Implementation Gap)

यह भारत में किसी भी योजना की सबसे बड़ी कमजोरी रही है। दिल्ली में बनी एक बेहतरीन योजना का जमीनी स्तर पर क्या हश्र होता है, यह सब जानते हैं।

  • धन का वितरण: योजना के लिए आवंटित बजट का बड़ा हिस्सा प्रशासनिक खर्चों में ही खत्म हो जाता है। गाँव-कस्बों तक पैसा ठीक से नहीं पहुँच पाता।
  • अधिकारियों में जवाबदेही का अभाव: जिम्मेदार अधिकारी अक्सर रिपोर्टिंग और कागजी कार्रवाई तक सीमित रह जाते हैं। वास्तविक निगरानी और मूल्यांकन की कमी होती है।

3. पुलिस और न्यायिक व्यवस्था पर अत्यधिक दबाव

  • पुलिस संसाधनों की कमी: देश में पुलिस बल का कर्मचारी-जनसँख्या अनुपात अभी भी चिंताजनक है। कम संसाधनों के बावजूद, Mission Shakti 5 के तहत और अधिक जिम्मेदारियाँ पुलिस पर आ जाती हैं।
  • न्यायिक प्रक्रिया में देरी: फास्ट ट्रैक कोर्ट बनाने के बावजूद, मामलों की भरमार, गवाहों का डर और कानूनी पेचीदगियों के कारण न्याय मिलने में सालों लग जाते हैं। इस देरी से पीड़िता का हौसला टूटता है और अपराधी को बेखौफ होने का मौका मिलता है।

4. डिजिटल डिवाइड और साइबर अपराध

मिशन शक्ति का फोकस भौतिक सुरक्षा पर है, लेकिन आज महिलाओं के लिए एक नया खतरा साइबर स्पेस में मौजूद है। ऑनलाइन उत्पीड़न, साइबरस्टॉकिंग, अश्लील सामग्री का वितरण जैसे मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के बीच डिजिटल जागरूकता की खाई इसे और बढ़ा देती है। Mission Shakti 5 में साइबर अपराधों से निपटने की एक मजबूत और विस्तृत रणनीति की कमी महसूस की जा सकती है।

5. आर्थिक निर्भरता का मुद्दा

अक्सर, आर्थिक रूप से निर्भर महिलाएँ हिंसा सहने को मजबूर होती हैं क्योंकि उनके पास जाने का कोई विकल्प नहीं होता। Mission Shakti 5 सीधे तौर पर महिलाओं को रोजगार और आजीविका के अवसर मुहैया कराने में कितना फोसस करता है, यह एक अहम सवाल है। सुरक्षा और आर्थिक सशक्तिकरण एक-दूसरे के पूरक हैं।

क्या Mission Shakti 5 सफल हो सकता है? एक रोडमैप

चुनौतियाँ भले ही बड़ी हों, लेकिन Mission Shakti 5 में संभावनाएं भी उतनी ही हैं। सफलता के लिए निम्नलिखित कदम उठाने होंगे:

  1. डेटा-आधारित निगरानी: योजना की प्रगति की निगरानी सिर्फ रिपोर्टों के आधार पर नहीं, बल्कि रियल-टाइम डेटा के जरिए होनी चाहिए। हेल्पलाइन कॉल्स, सखी केंद्रों में आने वाली महिलाओं की संख्या, और अपराध दर में कमी जैसे मापदंडों का इस्तेमाल किया जाना चाहिए।
  2. स्थानीयकरण: हर राज्य और जिले की समस्याएं अलग-अलग हैं। मिशन को स्थानीय जरूरतों के हिसाब से लचीला बनाना होगा। एक जिले को CCTV की जरूरत हो सकती है, तो दूसरे को जागरूकता की।
  3. निजी क्षेत्र और मीडिया की भागीदारी: Corporate Social Responsibility (CSR) फंड्स के जरिए निजी कंपनियों को इस मिशन से जोड़ा जा सकता है। मीडिया सकारात्मक कहानियों और सफल मॉडलों को प्रचारित करके एक बेहतर माहौल बनाने में मदद कर सकता है।
  4. महिला नेतृत्व को बढ़ावा: ग्राम पंचायतों से लेकर पुलिस बल तक, महिलाओं की भागीदारी बढ़ानी होगी। एक महिला पुलिस अधिकारी या सरपंच पीड़िता के लिए अधिक संवेदनशील और प्रेरणादायक साबित हो सकती है।

निष्कर्ष: एक सुरक्षित कल की ओर बढ़ते कदम

Mission Shakti 5 कोई जादू की छड़ी नहीं है, जो रातों-रात भारत में महिला सुरक्षा की तस्वीर बदल देगी। यह एक महत्वपूर्ण और सराहनीय पहल है, जो सही दिशा में उठाया गया एक बड़ा कदम है। इसकी सफलता सरकार की नीयत, प्रशासन की ईमानदारी और समाज की सामूहिक इच्छाशक्ति पर निर्भर करेगी।

अंततः, किसी भी योजना की असली कसौटी वह पीड़िता है, जो अब न्याय की उम्मीद करती है, वह युवती है, जो रात में बेखौक घर लौटना चाहती है, और वह बच्ची है, जो एक सुरक्षित और सम्मानजनक माहौल में बड़ा होने का सपना देखती है। Mission Shakti 5 तभी सार्थक होगा, जब यह इन आम लोगों के जीवन में एक ठोस, सकारात्मक और स्थायी बदलाव ला पाए। यह मिशन अकेले सब कुछ नहीं कर सकता, लेकिन यह वह चिंगारी जरूर बन सकता है, जो समाज में एक बड़े बदलाव की शुरुआत करे।

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