भारत में मोटापे की बढ़ती महामारी: किशोर-बच्चों के लिए UNICEF की चेतावनी 2025

भारत, जिसे कभी कुपोषण और भूख की समस्या के लिए जाना जाता था, अब एक नए स्वास्थ्य संकट का सामना कर रहा है—मोटापा (Obesity)। यह समस्या अब सिर्फ वयस्कों तक सीमित नहीं रही, बल्कि बच्चों और किशोरों में तेजी से बढ़ रही है।
2025 में UNICEF (संयुक्त राष्ट्र बाल कोष) ने एक गंभीर चेतावनी जारी की है कि यदि समय रहते कदम नहीं उठाए गए, तो आने वाले वर्षों में भारत में मोटापा महामारी (epidemic) का रूप ले लेगा।


मोटापा क्या है?

मोटापा (Obesity) वह स्थिति है जब शरीर में वसा (fat) की मात्रा असामान्य रूप से बढ़ जाती है और यह स्वास्थ्य के लिए खतरा बन जाती है।
इसे सामान्यतः Body Mass Index (BMI) से मापा जाता है:

  • BMI 18.5 से 24.9 → सामान्य
  • BMI 25 से 29.9 → अधिक वजन (Overweight)
  • BMI 30 या उससे अधिक → मोटापा (Obesity)

👉 संक्षिप्त परिभाषा:
“जब BMI 30 से अधिक हो और शरीर में अतिरिक्त वसा स्वास्थ्य को नुकसान पहुँचाए, तो उसे मोटापा कहते हैं।”


UNICEF की चेतावनी 2025

UNICEF की 2025 की रिपोर्ट के अनुसार:

  • भारत में 12 से 19 वर्ष की उम्र के हर 10 में से 3 किशोर मोटापे की ओर बढ़ रहे हैं।
  • शहरी क्षेत्रों में यह समस्या सबसे तेज़ी से बढ़ रही है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में भी अब इसके मामले बढ़ने लगे हैं।
  • मोटापा सिर्फ शारीरिक बीमारी नहीं, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य, आत्मविश्वास और सामाजिक जीवन पर भी गहरा असर डाल रहा है।

मोटापे के बढ़ने के मुख्य कारण

भारत में बच्चों और किशोरों में मोटापा कई कारणों से तेजी से फैल रहा है:

1. फास्ट फूड और जंक फूड का बढ़ता चलन

  • बर्गर, पिज्जा, पैकेज्ड स्नैक्स और शुगरी ड्रिंक्स बच्चों की पहली पसंद बन चुके हैं।
  • इन खाद्य पदार्थों में उच्च मात्रा में चीनी, नमक और अस्वस्थ वसा (trans fat) पाई जाती है।

2. स्क्रीन टाइम और निष्क्रिय जीवनशैली

  • बच्चे घंटों मोबाइल, टीवी और वीडियो गेम में समय बर्बाद करते हैं।
  • Physical Activity की कमी से कैलोरी जल नहीं पाती और वजन बढ़ता है।

3. शहरीकरण और बदलती जीवनशैली

  • माता-पिता के व्यस्त शेड्यूल के कारण घर का बना संतुलित खाना कम और बाहर का तला-भुना खाना ज्यादा हो रहा है।
  • स्कूलों में भी शारीरिक गतिविधियों पर कम जोर दिया जाता है।

4. नींद की कमी

  • देर रात तक फोन और लैपटॉप का इस्तेमाल बच्चों की नींद कम कर रहा है।
  • नींद की कमी से मेटाबॉलिज्म धीमा हो जाता है और मोटापा बढ़ता है।

5. आनुवांशिक और हार्मोनल कारण

  • कुछ बच्चों में मोटापे की प्रवृत्ति जेनेटिक भी हो सकती है।
  • थायरॉयड और इंसुलिन से संबंधित समस्याएं भी इसका कारण बनती हैं।

मोटापे के दुष्प्रभाव: किशोरों के लिए खतरे की घंटी

मोटापा सिर्फ मोटा दिखने का नाम नहीं है, बल्कि यह कई गंभीर बीमारियों को जन्म देता है:

  1. डायबिटीज (Type-2 Diabetes) – कम उम्र में ही इंसुलिन रेजिस्टेंस।
  2. हृदय रोग – उच्च रक्तचाप और कोलेस्ट्रॉल की समस्या।
  3. श्वसन समस्याएँ – नींद में सांस रुकना (Sleep Apnea)।
  4. मानसिक स्वास्थ्य – अवसाद, आत्मविश्वास में कमी और बॉडी-शेमिंग।
  5. भविष्य की प्रजनन समस्याएँ – खासकर लड़कियों में PCOD/PCOS।

2025 में भारत की स्थिति: आंकड़ों की जुबानी

  • 2010 में जहाँ भारत में मोटापे से ग्रस्त बच्चों की संख्या 5% थी, वहीं 2025 में यह 20% से अधिक हो गई है।
  • WHO के अनुसार, भारत में लगभग 3.4 करोड़ बच्चे मोटापे की समस्या से जूझ रहे हैं।
  • यदि यह दर इसी तरह बढ़ती रही, तो 2030 तक भारत दुनिया का सबसे ज्यादा मोटापाग्रस्त किशोर आबादी वाला देश बन जाएगा।

मोटापे की रोकथाम: समाधान और उपाय

UNICEF और WHO ने बच्चों और किशोरों में मोटापा रोकने के लिए कई सुझाव दिए हैं:

1. संतुलित आहार

  • घर का बना पौष्टिक खाना दें।
  • सब्जियां, फल, दालें और साबुत अनाज आहार का हिस्सा बनाएं।
  • शुगरी ड्रिंक्स और पैकेज्ड फूड को धीरे-धीरे कम करें।

2. नियमित शारीरिक गतिविधि

  • रोज कम से कम 60 मिनट एक्सरसाइज जरूरी है।
  • स्कूलों में खेल-कूद को अनिवार्य बनाया जाए।

3. स्क्रीन टाइम पर नियंत्रण

  • बच्चों को प्रतिदिन अधिकतम 2 घंटे स्क्रीन टाइम की अनुमति दें।
  • परिवार के साथ आउटडोर एक्टिविटी को बढ़ावा दें।

4. नींद और मानसिक स्वास्थ्य

  • बच्चों को 7-9 घंटे की नींद सुनिश्चित करें।
  • काउंसलिंग और मोटिवेशनल सत्र से आत्मविश्वास बढ़ाएं।

5. जागरूकता अभियान

  • सरकार और स्कूल मिलकर मोटापा जागरूकता अभियान चलाएं।
  • टीवी और डिजिटल मीडिया पर जंक फूड विज्ञापनों पर सख्ती करें।

सरकार और नीतिगत पहल

भारत सरकार ने मोटापा और जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों को रोकने के लिए कई पहल शुरू की हैं:

  • फिट इंडिया मूवमेंट (2019) – बच्चों और युवाओं को फिटनेस के लिए प्रेरित करना।
  • मिड-डे मील सुधार – स्कूलों में पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराना।
  • पोषण अभियान – कुपोषण और अतिपोषण, दोनों से लड़ने की पहल।

लेकिन UNICEF का मानना है कि इन योजनाओं को और तेजी और सख्ती से लागू करने की जरूरत है।


माता-पिता और समाज की भूमिका

बच्चों का मोटापा सिर्फ सरकार की जिम्मेदारी नहीं, बल्कि माता-पिता और समाज का भी फर्ज है।

  • बच्चों के खानपान की आदतें घर से शुरू होती हैं।
  • परिवार को मिलकर बच्चों को हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाने के लिए प्रेरित करना चाहिए।
  • समाज में बॉडी-शेमिंग के बजाय सपोर्ट और पॉजिटिविटी का माहौल बनाना जरूरी है।

भविष्य का खतरा: यदि अब भी लापरवाही की गई तो…

अगर मोटापा इसी गति से बढ़ता रहा तो:

  • भारत में डायबिटीज और हृदय रोगों का बोझ बढ़ेगा।
  • स्वास्थ्य सेवाओं पर आर्थिक दबाव पड़ेगा।
  • बच्चों की औसत आयु और जीवन गुणवत्ता घट जाएगी।

निष्कर्ष

भारत में बच्चों और किशोरों में मोटापा अब एक साइलेंट एपिडेमिक बन चुका है।
UNICEF की चेतावनी हमें यह संदेश देती है कि अगर हमने अभी से सही कदम नहीं उठाए, तो आने वाले वर्षों में यह स्थिति और भयावह हो जाएगी।
👉 समाधान स्पष्ट है: संतुलित आहार, सक्रिय जीवनशैली, शिक्षा और जागरूकता।

हम सब मिलकर ही इस बढ़ती महामारी को रोक सकते हैं।


FAQ

प्रश्न 1: भारत में बच्चों में मोटापा क्यों बढ़ रहा है?

उत्तर: जंक फूड, स्क्रीन टाइम, शारीरिक गतिविधि की कमी और बदलती जीवनशैली इसके मुख्य कारण हैं।

प्रश्न 2: बच्चों में मोटापा कैसे रोका जा सकता है?

उत्तर: पौष्टिक आहार, रोजाना व्यायाम, नींद पूरी करना और स्क्रीन टाइम सीमित करना सबसे प्रभावी उपाय हैं।

प्रश्न 3: मोटापा किन बीमारियों का कारण बनता है?

उत्तर: डायबिटीज, हृदय रोग, उच्च रक्तचाप, मानसिक तनाव और PCOD/PCOS जैसी समस्याएं।

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