भारत में दशहरे की परंपराएं: अलग-अलग राज्यों में कैसे मनाते हैं?

दशहरा, जिसे विजयादशमी भी कहा जाता है, भारत के सबसे प्रमुख त्योहारों में से एक है। यह अच्छाई की बुराई पर विजय का प्रतीक है और हर साल अश्विन मास की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है। आमतौर पर लोग दशहरे को रावण दहन से जोड़ते हैं, लेकिन भारत जैसे विविधतापूर्ण देश में हर राज्य की अपनी-अपनी परंपराएं हैं। कहीं इसे शक्ति पूजा के रूप में मनाया जाता है तो कहीं शौर्य और साहस की गाथा गाकर।


भारत में दशहरा अलग-अलग राज्यों में इस प्रकार मनाया जाता है:

  • उत्तर प्रदेश – रावण दहन और रामलीला
  • पश्चिम बंगाल – दुर्गा विसर्जन
  • महाराष्ट्र – अपराजिता पूजन और सोनपत्ती का आदान-प्रदान
  • गुजरात – गरबा और डांडिया
  • कर्नाटक (मैसूर) – मैसूर दशहरा महोत्सव
  • हिमाचल प्रदेश – कुल्लू दशहरा
  • तमिलनाडु – गोलू की परंपरा
  • केरल – शस्त्र पूजा और विद्यारंभम्
  • ओडिशा – देवी भुवनेश्वरी की पूजा
  • आंध्र प्रदेश – बत्तिस पूजा और सांस्कृतिक कार्यक्रम

दशहरे का महत्व

दशहरा न केवल धार्मिक बल्कि सामाजिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसे मुख्यतः दो कारणों से मनाया जाता है—

  1. रामायण कथा के अनुसार भगवान राम ने इसी दिन रावण का वध किया था।
  2. महिषासुर मर्दिनी कथा के अनुसार माँ दुर्गा ने महिषासुर नामक राक्षस का वध कर देवताओं को विजय दिलाई थी।

इस प्रकार दशहरा सत्य, धर्म और न्याय की जीत का प्रतीक बन गया।


अलग-अलग राज्यों में दशहरे की परंपराएं

1. उत्तर प्रदेश में दशहरा

  • रामलीला का मंचन पूरे राज्य में होता है।
  • वाराणसी, अयोध्या और रामनगर की रामलीला विश्व प्रसिद्ध है।
  • दशमी के दिन रावण, कुंभकर्ण और मेघनाथ के विशाल पुतले जलाए जाते हैं।
  • लाखों लोग इस ऐतिहासिक आयोजन को देखने के लिए जुटते हैं।

2. पश्चिम बंगाल में दशहरा (दुर्गा पूजा का विसर्जन)

  • यहाँ दशहरा दुर्गा पूजा के अंतिम दिन के रूप में मनाया जाता है।
  • दुर्गा प्रतिमा के विसर्जन के साथ माँ को विदा किया जाता है।
  • महिलाएँ सिंदूर खेला की रस्म निभाती हैं, जिसमें वे एक-दूसरे को सिंदूर लगाती हैं।
  • इस परंपरा का सामाजिक महत्व है, क्योंकि यह स्त्री शक्ति और सौभाग्य का प्रतीक है।

3. महाराष्ट्र में दशहरा

  • लोग इस दिन अपराजिता पूजन करते हैं।
  • सोनपत्ती’ (आम के पत्ते) को सोना मानकर आपस में आदान-प्रदान करते हैं।
  • यह परंपरा मित्रता, भाईचारे और समृद्धि का प्रतीक है।
  • कई जगह ‘सीमा दर्शन’ की प्रथा भी निभाई जाती है।

4. गुजरात में दशहरा

  • यहाँ दशहरा गरबा और डांडिया के नृत्य के साथ खास महत्व रखता है।
  • नवरात्र के नौ दिनों तक गरबा-डांडिया चलता है और दशमी के दिन देवी का विसर्जन होता है।
  • लोग इसे न केवल धार्मिक त्योहार बल्कि सांस्कृतिक उत्सव की तरह मानते हैं।

5. कर्नाटक में दशहरा (मैसूर दशहरा)

  • मैसूर दशहरा पूरे भारत में मशहूर है।
  • मैसूर पैलेस को लाखों बल्बों से सजाया जाता है।
  • राजसी जुलूस में देवी चामुंडेश्वरी की प्रतिमा को हाथी पर बिठाकर निकाला जाता है।
  • यहाँ दशहरा शक्ति और साहस का प्रतीक है।

6. हिमाचल प्रदेश में दशहरा (कुल्लू दशहरा)

  • कुल्लू का दशहरा अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कर चुका है।
  • यह नवरात्र खत्म होने के बाद शुरू होता है और सात दिन तक चलता है।
  • विभिन्न देवी-देवताओं की झांकियाँ सजाकर शोभायात्रा निकाली जाती है।
  • यहाँ दशहरा धार्मिक और पर्यटन दोनों दृष्टि से महत्वपूर्ण है।

7. तमिलनाडु में दशहरा

  • यहाँ इसे नवरात्रि गोलू कहते हैं।
  • घरों में लकड़ी या धातु की सीढ़ियों पर देवी-देवताओं की मूर्तियाँ सजाई जाती हैं।
  • महिलाएँ एक-दूसरे को सुपारी और उपहार भेंट करती हैं।
  • यह परंपरा स्त्री शक्ति और सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक है।

8. केरल में दशहरा

  • यहाँ दशहरे का प्रमुख आकर्षण है विद्यारंभम्
  • बच्चे इस दिन अक्षर ज्ञान की शुरुआत करते हैं।
  • शस्त्र पूजा का आयोजन भी होता है, जिसमें हथियारों और औजारों की पूजा की जाती है।
  • इसे ज्ञान और शक्ति की देवी के आशीर्वाद से जोड़ा जाता है।

9. ओडिशा में दशहरा

  • यहाँ इसे शक्ति पूजा के रूप में मनाया जाता है।
  • खासकर कटक और भुवनेश्वर में भव्य दुर्गा पूजा पंडाल सजाए जाते हैं।
  • दशहरे के दिन देवी भुवनेश्वरी की पूजा की जाती है।

10. आंध्र प्रदेश में दशहरा

  • आंध्र प्रदेश में इस त्योहार का संबंध महिला सशक्तिकरण से जोड़ा जाता है।
  • यहाँ ‘बत्तिस पूजा’ और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होता है।
  • महिलाएँ एक-दूसरे को हल्दी-कुमकुम भेंट करती हैं।

दशहरे की आधुनिकता और सामाजिक महत्व

आज के समय में दशहरे ने केवल धार्मिक महत्व ही नहीं, बल्कि सामाजिक एकता और सांस्कृतिक धरोहर को भी जीवित रखा है।

  • पर्यावरण के प्रति जागरूकता बढ़ने से अब ईको-फ्रेंडली प्रतिमाएँ बनाई जाने लगी हैं।
  • डिजिटल युग में ऑनलाइन रामलीला और लाइव स्ट्रीमिंग का चलन भी बढ़ा है।
  • यह त्योहार बुराइयों से लड़ने का संदेश देता है—चाहे वह असत्य हो, भ्रष्टाचार हो या सामाजिक कुरीतियाँ।

निष्कर्ष

भारत में दशहरा एक ही दिन मनाया जाता है लेकिन उसकी परंपराएं हर राज्य में अलग-अलग हैं। कहीं यह शक्ति पूजा का प्रतीक है तो कहीं यह राम के आदर्शों को जीने की प्रेरणा देता है। यही विविधता भारत की पहचान है।

👉 इस दशहरे पर हमें न केवल परंपराओं को याद रखना चाहिए बल्कि उनके पीछे छिपे संदेशों को भी आत्मसात करना चाहिए।

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