क्रिप्टोकरेंसी को लेकर भारत में बहस लंबे समय से चल रही है। एक तरफ RBI (भारतीय रिज़र्व बैंक) है, जो क्रिप्टो को देश की वित्तीय स्थिरता के लिए खतरा मानता है। दूसरी तरफ SEBI (भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड) है, जो इसे रेग्युलेटेड ढांचे में लाने की कोशिश कर रहा है। और फिर हैं निवेशक, जिन्होंने क्रिप्टो में अरबों रुपये निवेश किए हैं और वे एक स्पष्ट नीति की प्रतीक्षा कर रहे हैं।
2025 में यह बहस और तेज हो गई है क्योंकि सरकार को अब यह तय करना है कि क्रिप्टो को पूरी तरह से बैन करना है, रेग्युलेट करना है या इसे डिजिटल एसेट्स की तरह स्वीकार करना है।
भारत की क्रिप्टो नीति का सारांश:
- RBI: क्रिप्टो को “फाइनेंशियल रिस्क” मानकर बैन या कड़े नियंत्रण की मांग।
- SEBI: इसे रेग्युलेटेड मार्केट में लाने के पक्ष में ताकि निवेशक सुरक्षित रहें।
- सरकार: टैक्स व राजस्व को देखते हुए संतुलन साधना चाहती है।
- निवेशक: पारदर्शी नियमों और सुरक्षा की मांग कर रहे हैं।
1. भारत में क्रिप्टो का इतिहास
भारत में क्रिप्टोकरेंसी की शुरुआत 2013 के आसपास हुई जब बिटकॉइन चर्चा में आया।
- शुरुआती दिनों में कुछ ही लोग क्रिप्टो को समझते थे।
- 2017 तक बिटकॉइन की कीमतें आसमान छूने लगीं और भारतीय निवेशकों की दिलचस्पी बढ़ गई।
- 2018 में RBI ने सभी बैंकों को क्रिप्टो से जुड़े लेन-देन रोकने का आदेश दिया।
- 2020 में सुप्रीम कोर्ट ने RBI के बैन को हटा दिया।
- 2022 से भारत ने क्रिप्टो ट्रांजैक्शन पर 30% टैक्स और 1% TDS लागू किया।
2. RBI का दृष्टिकोण: क्यों है क्रिप्टो के खिलाफ?
RBI क्रिप्टोकरेंसी को लेकर सबसे अधिक चिंतित है। इसके मुख्य कारण:
- मौद्रिक नीति पर असर: क्रिप्टो एक डीसेंट्रलाइज्ड करेंसी है। RBI को डर है कि इससे वह देश की मौद्रिक नीति पर नियंत्रण खो देगा।
- मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवाद फंडिंग: गुमनाम लेन-देन के कारण क्रिप्टो का गलत इस्तेमाल संभव है।
- वोलैटिलिटी (अस्थिरता): बिटकॉइन जैसे कॉइन की कीमतें मिनटों में बदल जाती हैं, जिससे निवेशकों की पूंजी खतरे में रहती है।
- CBDC (डिजिटल रुपया): RBI चाहता है कि लोग उसके द्वारा लाए गए डिजिटल रुपया को अपनाएँ, न कि निजी क्रिप्टोकरेंसी।
3. SEBI का दृष्टिकोण: रेग्युलेशन से समाधान
SEBI मानता है कि:
- अगर क्रिप्टो को पूरी तरह बैन कर दिया गया तो भारत पीछे रह जाएगा।
- इसके बजाय इसे स्टॉक्स और म्यूचुअल फंड की तरह रेग्युलेट किया जा सकता है।
- SEBI निवेशकों की सुरक्षा के लिए KYC, AML (Anti Money Laundering) और ऑडिट सिस्टम लागू करना चाहता है।
4. निवेशकों की स्थिति
भारत में 2.5 करोड़ से अधिक क्रिप्टो निवेशक हैं।
- युवा वर्ग इसे नए निवेश अवसर की तरह देखता है।
- टेक्नोलॉजी सेक्टर इसे ब्लॉकचेन नवाचार से जोड़ता है।
- लेकिन टैक्स और अस्पष्ट नीतियों ने निवेशकों को भ्रमित कर दिया है।
निवेशकों की प्रमुख मांगें:
- स्पष्ट रेग्युलेशन
- कम टैक्स और TDS में राहत
- अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार सुरक्षा
5. टैक्सेशन और भारत की नीति
भारत ने क्रिप्टो पर दुनिया का सबसे कठोर टैक्स लगाया है।
- 30% फ्लैट टैक्स: क्रिप्टो से कमाई गई किसी भी आय पर लागू।
- 1% TDS: हर लेन-देन पर लागू, जिससे ट्रेडिंग में दिक्कत आती है।
निवेशक मानते हैं कि:
- इतनी सख्त टैक्स पॉलिसी से क्रिप्टो इंडस्ट्री विदेश चली जाएगी।
- सरकार को इसे GST या कैपिटल गेन टैक्स जैसे सामान्य टैक्स सिस्टम में लाना चाहिए।
6. अंतरराष्ट्रीय अनुभव
- अमेरिका: क्रिप्टो को इन्वेस्टमेंट एसेट मानकर रेग्युलेट करता है।
- जापान: बिटकॉइन को कानूनी भुगतान प्रणाली का हिस्सा बनाया।
- चीन: क्रिप्टो को पूरी तरह बैन कर दिया।
- यूरोप: MiCA (Markets in Crypto-Assets Regulation) नाम की पॉलिसी लागू की है।
भारत के लिए सबसे बड़ा सवाल यही है कि किस मॉडल को अपनाया जाए।
7. भविष्य की दिशा: क्या होगा भारत की क्रिप्टो नीति?
सरकार को तीन विकल्प दिखते हैं:
- पूरी तरह बैन → निवेशक नाराज़, इंडस्ट्री खत्म।
- कड़े रेग्युलेशन के साथ अनुमति → निवेशक सुरक्षित, सरकार को राजस्व।
- केवल डिजिटल रुपया पर जोर → नवाचार में बाधा।
8. अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)
Q1. क्या भारत में क्रिप्टो लीगल है?
➡ हाँ, लेकिन इसे रेग्युलेट नहीं किया गया है। केवल टैक्स नियम लागू हैं।
Q2. क्या क्रिप्टो पर टैक्स देना जरूरी है?
➡ हाँ, 30% टैक्स और 1% TDS अनिवार्य है।
Q3. RBI और SEBI क्यों अलग विचार रखते हैं?
➡ RBI वित्तीय स्थिरता पर ध्यान देता है, जबकि SEBI निवेशकों की सुरक्षा पर।
Q4. क्या भारत में बिटकॉइन बैन होगा?
➡ अभी तक कोई आधिकारिक बैन नहीं है, लेकिन नीति स्पष्ट नहीं है।
9. निष्कर्ष
भारत की क्रिप्टो नीति अभी अधर में है।
- RBI सुरक्षा और मौद्रिक नियंत्रण की चिंता कर रहा है।
- SEBI निवेशकों को सुरक्षित रखते हुए क्रिप्टो को रेग्युलेट करना चाहता है।
- सरकार टैक्स से राजस्व जुटा रही है लेकिन स्पष्ट दिशा नहीं दे रही।
अगर भारत को ब्लॉकचेन और क्रिप्टो इंडस्ट्री में अग्रणी बनना है, तो उसे संतुलित नीति बनानी होगी जो निवेशकों, नियामकों और सरकार—सभी के हितों का ख्याल रखे।