बंगालुरू फुटपाथ की बदहाली: चलने वालों की मुश्किलें और समाधान 2025

भारत की टेक्नोलॉजी राजधानी कहे जाने वाले बंगालुरू (Bengaluru) को विश्वभर में आईटी हब के नाम से जाना जाता है। यहाँ मल्टीनेशनल कंपनियों के ऑफिस, आधुनिक मेट्रो नेटवर्क और तेजी से बढ़ते इंफ्रास्ट्रक्चर की चर्चा हर जगह होती है। लेकिन इसी चकाचौंध के बीच एक सच्चाई यह भी है कि बंगालुरू के फुटपाथ (Footpaths) यानी पैदल मार्ग बेहद खराब स्थिति में हैं

2025 में भी हालात बहुत बेहतर नहीं हुए हैं। गड्ढों से भरे फुटपाथ, अतिक्रमण, गलत पार्किंग और असमान सतह ने पैदल यात्रियों की परेशानी को और बढ़ा दिया है।


Important प्रश्न

प्रश्न: बंगालुरू फुटपाथ की सबसे बड़ी समस्या 2025 में क्या है?
👉 सबसे बड़ी समस्या है अतिक्रमण और रखरखाव की कमी। पैदल यात्रियों के लिए बने रास्ते दुकानों, पार्किंग और कचरे से भरे रहते हैं, जिससे चलना मुश्किल हो जाता है।


1. फुटपाथ का महत्व क्यों है?

फुटपाथ केवल चलने का रास्ता नहीं होते बल्कि यह शहरी जीवन का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा हैं।

  • पैदल यात्रियों को सुरक्षित मार्ग देते हैं
  • ट्रैफिक जाम को कम करते हैं
  • बुजुर्गों, बच्चों और दिव्यांगों के लिए सहूलियत पैदा करते हैं
  • एक “वॉकिंग फ्रेंडली सिटी” की पहचान बनाते हैं

2. बंगालुरू में फुटपाथ की मौजूदा स्थिति (2025)

  • कई जगह फुटपाथ टूटे हुए और ऊबड़-खाबड़ हैं।
  • फुटपाथों पर गाड़ियों की पार्किंग आम है।
  • जगह-जगह दुकानदारों का कब्ज़ा है।
  • बारिश के दिनों में फुटपाथ पर पानी भर जाता है
  • कई इलाकों में फुटपाथ है ही नहीं, सिर्फ नाम मात्र के स्लैब पड़े हैं।

3. पैदल यात्रियों की मुश्किलें

  1. दुर्घटनाओं का खतरा – लोग मजबूरी में सड़क पर चलते हैं, जहाँ तेज़ ट्रैफिक की वजह से एक्सीडेंट होते हैं।
  2. बुजुर्ग और दिव्यांगों की परेशानी – व्हीलचेयर और वॉकर यूज़ करने वालों के लिए फुटपाथ बिल्कुल भी सुरक्षित नहीं।
  3. बच्चों और महिलाओं के लिए खतरा – स्कूल जाते बच्चों और महिलाओं को असुरक्षा का सामना करना पड़ता है।
  4. स्वास्थ्य पर असर – लोग पैदल चलने की बजाय गाड़ी का इस्तेमाल करने लगते हैं, जिससे प्रदूषण और बीमारियाँ बढ़ती हैं।

4. कारण: फुटपाथ बदहाल क्यों हैं?

  • अतिक्रमण (Encroachment) – दुकानदारों और फेरीवालों का कब्ज़ा।
  • रखरखाव की कमी – नगर निगम की ओर से समय पर मरम्मत नहीं।
  • शहरी योजना की कमी – फुटपाथ डिज़ाइन करते समय लंबी अवधि का विज़न नहीं।
  • ट्रैफिक दबाव – गाड़ियों की बढ़ती संख्या ने फुटपाथों को गौण बना दिया है।
  • लापरवाही – प्रशासन और आम नागरिकों दोनों का ध्यान कम है।

फीचर स्निपेट सेक्शन (संक्षिप्त समाधान लिस्ट)

प्रश्न: बंगालुरू फुटपाथ की समस्याओं का समाधान कैसे किया जा सकता है?
✔ नियमित रखरखाव और मरम्मत
✔ अतिक्रमण हटाना
✔ दिव्यांग-फ्रेंडली डिज़ाइन
✔ स्मार्ट सिटी टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल
✔ नागरिक जागरूकता अभियान


5. समाधान: बेहतर फुटपाथ के लिए क्या किया जा सकता है?

(i) शहरी डिज़ाइन में सुधार

  • यूनिवर्सल डिज़ाइन लागू हो जिससे बुजुर्ग और दिव्यांग आसानी से चल सकें।
  • फुटपाथ की चौड़ाई मानक के अनुसार हो।

(ii) टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल

  • स्मार्ट सेंसर और IoT की मदद से फुटपाथ की स्थिति की निगरानी।
  • मोबाइल ऐप्स के ज़रिए नागरिक शिकायत दर्ज करा सकें।

(iii) प्रशासनिक सख्ती

  • BBMP (Bruhat Bengaluru Mahanagara Palike) द्वारा नियमित सर्वे।
  • अतिक्रमण हटाने के लिए स्पेशल टास्क फोर्स।

(iv) नागरिक भागीदारी

  • स्थानीय लोगों को ‘फुटपाथ एडॉप्ट’ स्कीम में शामिल करना।
  • कॉलेज और स्कूलों में “फुटपाथ अवेयरनेस वीक”।

(v) पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप

  • कॉरपोरेट कंपनियों को CSR प्रोजेक्ट्स में फुटपाथ डेवलपमेंट से जोड़ना।

6. अंतरराष्ट्रीय उदाहरण (जो बंगालुरू सीख सकता है)

  • सिंगापुर – फुटपाथ पूरी तरह दिव्यांग और पैदल यात्री फ्रेंडली।
  • लंदन – फुटपाथ और साइकल लेन का सुंदर कॉम्बिनेशन।
  • टोक्यो – फुटपाथ पर हाई-टेक मैप और गाइडलाइंस।

7. 2025 और आगे की संभावनाएँ

अगर सही समय पर योजना और एक्शन लिया गया तो:

  • लोग ज्यादा पैदल चलना पसंद करेंगे।
  • ट्रैफिक जाम और प्रदूषण कम होगा।
  • शहर की छवि “वॉकिंग फ्रेंडली” बनेगी।
  • स्मार्ट सिटी मिशन को असली सफलता मिलेगी।

निष्कर्ष

बंगालुरू जैसे महानगर में फुटपाथ केवल पैदल चलने का साधन नहीं बल्कि नागरिक अधिकार हैं। 2025 में भी इनकी हालत दयनीय है, लेकिन अगर प्रशासन, नागरिक और टेक्नोलॉजी साथ आएं तो आने वाले वर्षों में बंगालुरू को दुनिया का सबसे पैदल यात्री फ्रेंडली शहर बनाया जा सकता है।

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