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खिलते गुलाब की तरह नाजुक: शिशु से प्यार करने का कलात्मक सफर

खिलते गुलाब की तरह नाजुक: शिशु से प्यार करने का कलात्मक सफर

एक नवजात शिशु दुनिया में आंखें खोलता है, तो अपने साथ लाता है खुशियों की बहार और जिम्मेदारियों का सिलसिला। इस नन्हे प्राणी के लिए माता-पिता का प्यार ही उसकी पहली ज़रूरत और सुरक्षा कवच होता है। लेकिन, सवाल उठता है कि शिशु से प्यार कैसे करें? यह सवाल खासकर नए माता-पिता के मन में बार-बार उछलता है। चिंता न करें, आज हम इसी सवाल का जवाब ढूंढेंगे और शिशु के प्रति प्रेम जताने के कुछ खास तरीकों पर चर्चा करेंगे।

शिशु के प्यार की भाषा को समझें

शिशु बोल नहीं सकता, मगर उसकी आंखें, हंसना, रोना, गुदगुदी करना आदि सभी उसकी अपनी भाषा हैं। इन संकेतों को समझना और उनका जवाब देना ही शिशु के प्रति प्रेम जताने का पहला कदम है।

  • स्पर्श का जादू: शिशुओं को स्पर्श बेहद पसंद होता है। उन्हें गोद में लेना, हल्के से सहलाना, उनके छोटे हाथ-पैर पकड़ना, ये सभी स्पर्श उन्हें सुरक्षित और प्यार महसूस कराते हैं।
  • आंखों का मीठा संवाद: शिशुओं के लिए माता-पिता की आंखें दुनिया का आईना होती हैं। उनसे प्यार से बात करें, मुस्कुराएं, आंखों में आंखें डालकर देखें। यह नन्हा प्राणी आपकी आंखों में ही अपना सारा जहां देखता है।
  • प्यार भरी आवाज़ का संगीत: शिशुओं को माता-पिता की आवाज़ सबसे अच्छी लगती है। उनके लिए धीमी, मीठी आवाज़ में बात करें, लोरियां गाएं, कहानियां सुनाएं। आपकी आवाज़ ही उनके लिए सबसे सुकून देने वाला संगीत है।

शिशु की ज़रूरतों को पहचानें और पूरा करें

शिशु की ज़रूरतें बुनियादी होती हैं – दूध पिलाना, डायपर बदलना, नहलाना, सुलाना। लेकिन, इन ज़रूरतों को पूरा करने के तरीके में ही प्यार छिपा होता है।

  • भूख लगने पर तुरंत दूध पिलाएं: भूखे शिशु के लिए दुनिया में किसी और चीज़ की अहमियत नहीं होती। इसलिए, उनकी भूख पर ध्यान दें और जल्दी से दूध पिलाएं।
  • डायपर बदलने में कोताही न करें: गीला या गंदा डायपर शिशु को असहज महसूस कराता है। इसलिए, डायपर बदलने में जल्दी करें और इस दौरान भी उनसे प्यार से बात करें।
  • नहाने का सुखद अनुभव दें: नहाने का समय शिशु के लिए रोने-धोने का नाटक न बनने दें। उन्हें हल्के हाथों से नहलाएं, पानी को गुनगुना रखें और उनके साथ हंसे-खेले। नहाने के बाद हल्के से मसाज करें, यह उन्हें सुकून देगा।
  • नींद का आरामदेह कोना बनाएं: शिशुओं को सोने के लिए सुरक्षित और आरामदेह माहौल चाहिए। उनके लिए पालना सजाएं, हल्का संगीत बजाएं, और उनके हाथ पकड़ कर सोने का साथ दें।

शिशु के विकास को बढ़ावा दें

शिशु का शारीरिक और मानसिक विकास माता-पिता के प्यार और सहयोग से ही होता है।

  • खेल-खेल में सीखें: शिशुओं के लिए खेल ही सीखने का तरीका होता है। उनके साथ रंग-बिरंगे खिलौने से खेलें, गाने 

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manjula

मंजुला dussera.co.in चलाती हैं, जिसमें सोशल मीडिया टिप्स से लेकर बेहतरीन मैसेजिंग ऐप्स तक हर चीज पर लेखों का खजाना है। वह 10 वर्षों से अधिक समय से पागलों की तरह लिख रहा है और परीक्षण कर रहा है, और यहां तक कि जब वह कीबोर्ड से चिपका नहीं होता है तो स्टॉक और क्रिप्टो में भी निवेश करता है।

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